कांथा साड़ी पश्चिम बंगाल की एक पारंपरिक और प्रसिद्ध कढ़ाई वाली साड़ी है। इसे मुख्य रूप से ग्रामीण महिलाओं द्वारा बनाया जाता है।
कांथा साड़ी पर सुंदर और जटिल कढ़ाई का काम हाथों द्वारा किया जाता है।
कांथा साड़ी की विशेषता यह है कि इसमें पुनर्नवीनीकरण कपड़े का उपयोग होता है और उस पर रंग-बिरंगे धागों से कढ़ाई की जाती है।
कांथा की कढ़ाई में फूल और पत्ती के साथ साथ कुछ विशेष प्रकार की आकृति के डिज़ाइन भी बनाए जाते हैं जैसे की मोर, मछली, हिरण, आदि।
कांथा से सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि और भी बहुत सी चीजें बनाई जाती हैं जैसे की लेडीज सूट, ब्लाउज़, दुपट्टा और जेंट्स कुर्ता और सिर्फ इतना ही नहीं इस कला से बेडशीट, वॉल फ्रेम आदि भी बनाए जाते हैं।
कांथा कढ़ाई की गई साड़ियां पूर्णतः हस्तनिर्मित होने के कारण थोड़ी महंगी होती हैं।