हरतालिका तीज एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर बिहार,उत्तर भारत, नेपाल, और कुछ अन्य क्षेत्रों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हरतालिका तीज का पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के पवित्र विवाह को समर्पित है।
इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पूरे दिन बिना जल और अन्न ग्रहण किए रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। महिलाएं इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करती हैं, शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं, और सोलह श्रृंगार करके झूला झूलती हैं।
यह व्रत विशेष रूप से उन महिलाओं द्वारा किया जाता है जो अपने पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। अविवाहित लड़कियां भी इस व्रत को करके अच्छे जीवनसाथी की कामना करती हैं।
तृतीया का समयकाल: तृतीया 5 तारीख को 12:18 से शुरू होकर 6 तारीख को 2:15 तक रहेगी।
सुबह में पूजा का शुभ मुहूर्त- ज्योतिष विज्ञान के जानकारों के अनुसार हरतालिका तीज पर सुबह 06.02 बजे से 08.33 बजे तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का शुभ समय रहेगा।
हरतालिका तीज पूजा-विधि
सबसे पहले चौकी सजाएं। चौकी के चारों-ओर केले के पत्तों को कलावे से बांध दें। साफ कपड़ा बिछाकर कलश की स्थापना करें। गणेश जी को प्रणाम करें। इस पूजन में मिट्टी या रेत से शिव परिवार बनाकर पूजा किया जाता है। प्रभु का जलाभिषेक करें। 16 श्रृंगार का सामान, अगरबत्ती, धूप, दीप, शुद्ध घी, पान, कपूर, सुपारी, नारियल, चंदन, फल, फूल के साथ आम, केला, बेल व शमी के पत्ते से पूजा करें। हरतालिका तीज व्रत की कथा का पाठ करें। फिर आरती के बाद श्रद्धा के साथ भोग लगाकर क्षमा-याचना करें। पूजा में सामां के चावल का सत्तू चढ़ाया जाता है और पारण के समय भी सबसे पहले सत्तू पानी के साथ ग्रहण किया जाता है।
दान: सोलह श्रृंगार तथा वस्त्र जैसे की साड़ी का दान भी शुभ माना जाता है।